क्या मुस्लिम आक्रामकता के कारण सती होने लगी?
सती का पहला ऐतिहासिक प्रमाण गुप्त काल में मिलता है। महाराज भानुप्रताप के साथ रहे गोपराज युद्ध में मर जाते हैं और उनकी पत्नी सती हो जाती है। इस प्रथा के प्राचीनतम ऐतिहासिक साक्ष्य ई.पू. 510, एरण के शिलालेख में शानदार उल्लेख है कि सती का निधन हो गया।
(Early India, रोमिला थापर, पृष्ठ 237)
इयं नारी पतिलोक वृणाना निपद्दत उप त्वा मर्त्य प्रेतम् धर्म॔ पुराणमनुपालयंती तस्यै प्रजां द्रविणं चेह धेहि।।
अर्थात : यह नारी स्वर्ग अर्थात पतिलोक को प्राप्त करने कि इच्छा से, हे मनुष्य तुझ मृत के समीप पहुँचती है. तुम्हारे साथ जल मर रही है, यह ऐसा पुरातन धर्म का पालन करती हुई कर रही है. इस तरह तुम्हारे साथ मर रही इस स्त्री को जन्मांतर मे इस लोक और परलोक मे भी तुम पिता पौत्र धन प्रदान करना.
(अथर्ववेद : 18/3/3 सायण-भाष्य)
इमा नारीरविधवा: सुपत्नीरांजनेन सर्पिषा संविशंतु अनश्रवोsनमिवा: सुरत्ना आरोहंतु जनयो योनिमग्रे।।
अर्थात: ये नारीयां पति के साथ जल रही है, अंतः पति के साथ होने के कारण अविधवा है. इस के शरीरो पर घी मला हुआ है. आँखों मे अंजन लगा है. ये आंसशुन्य है, हे अग्नि ये तुम में प्रवेश कर रही है. ताकी ये निर्दोष और सुंदर नारीयां अपनी पतियों से वियुक्त ना हो.
(ऋग्वेद 10/18/7 सायणभाष्य)
रामायण में दशरथ की मृत्यु के बाद कौशल्या सती होने लगती है, लेकिन अन्य महिलाएं उनका विरोध करती हैं:
मैं महाराज के शरीर को आलिंगन कर अग्नी में प्रवेश करुंगी
(वाल्मिकी रामायण, अयोध्याकांड 66/12)
रामायण उत्तरकाण्ड में उल्लेख है कि जब कुशध्वज की मृत्यु शंभुदैत्य के हाथों हुई थी, तब उनकी पत्नी सती हुई थीं:
मेरी महाभागा माता को बडा दुःख हुआ और वो पिताजी के शव को ह्रदय से लगाकर चिता कि आग में प्रविष्ट हो गयी.
(वाल्मिकी रामायण, उत्तरकांड 17/14)
महाभारत में उल्लेख है कि पांडु की मृत्यु के बाद माधुरी सती हुई:
जनमेजय! कुंती से यह कह कर पांडु की यशस्विनी धर्मपत्नी माद्रि चिता कि आग पर रखे हुये नरश्रेष्ठ पांडु के शव के साथ स्वयं भी चिता पर जा बैठी.
(महाभारत, आदिपर्व 124/31)
वासुदेव की मृत्यु के बाद उनकी 4 पत्नियां सती हो गईं:
युवतीओ में श्रेष्ठ देवकी, भद्रा, रोहिणी तथा मदिरा ये सब कि सब अपने पतीओ के साथ चिता पर आरुढ होने को उद्दत हो गयी (श्लोक 18)
चिता कि प्रज्वलित अग्नि मे सोये हुए वीर शुरपुत्र वासुदेवजी के साथ उनकी पुर्वोक्त चारो पत्नीया भी चिता पर जा बैठी और उन्ही के साथ भस्म हो पतिलोक को प्राप्त हुई. (श्लोक 24)
(महाभारत, मौसलपर्व 7, श्लोक 18, 24)
कृष्ण की मृत्यु के बाद उनकी 5 रानियां सती हो गईं:
रुक्मिणी, गांधारी, शैव्या, हैमवती और जांबवती ने पतिलोक कि प्राप्ती के लिए अग्नी मे प्रवेश किया.
(महाभारत,मौसलपर्व 7/73)
डॉ सुरेंद्र कुमार अज्ञात ने गरुड़ पुराण के संदर्भ में सती के अनुष्ठान का उल्लेख किया है:
नारी अपने को सुहागिन कि तरह सजाये, अच्छे वस्त्र पहने, आखो मे अंजन लगाये. सुर्य को नमस्कार करके चिता कि परिक्रमा करे, चिता पर बैठ कर पति का सिर अपनी गोद मे रख ले. फिर सहेलीयों को आग लगाने को कहे. आग मे दुख को इस तरह जला दे मानो वह गंगा के शीतल जल मे डुबकी लगा रही हो.
(गरुडपुराण 10/36-40)
क्या बालु कि भीत पर खडा है हिंदु धर्म (सुरेंद्र कुमार अज्ञात), पृष्ठ 663
राजाराम मोहन रॉय के साहित्य से साबित होता है कि अगर कोई महिला सती होने के लिए तैयार नहीं होती थी, तो उसे भांग पिला हाथ-पैर बांध चिता पर फेंक दिए जाता था, डंडो के सहारे।
सहायक ग्रंथ :
1.अर्लि इंडिया (रोमिला थापर)
2.अथर्ववेद, सायणभाष्य, विश्वबुक प्रकाशन, दिल्ली.
3.ऋग्वेद, सायणभाष्य, विश्वबुक प्रकाशन, दिल्ली
4.वाल्मिकी रामायण, गीताप्रेस गोरखपूर
5.महाभारत, गीताप्रेस गोरखपूर
6.क्या बालु कि भीत पर खडा है हिंदु धर्म, सुरेंद्र कुमार अज्ञात, विश्वबुक प्रकाशन दिल्ली।
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