गोमुत्र,गोबर,दुध,दही,घी और कुशा का जल इन सबके मिश्रण को पवित्र एव पापनाशक पंचगव्य कहा गया है.
(पराशर-स्मृती 11/29)
किसी ब्राह्मण ने चांडाल का अन्न खा लिया तो वह गोमुत्र मे पकाई गयी जव कि लपसी यवागु खाकर शुद्ध होता है.
(पराशर स्मृती 6/32)
तेरे मुत्र द्वार को में खोल देता हूं जैसे झिल का पानी बन्ध को खोल देता है । तेरे मूत्र मार्ग को खोल दिया गया है जैसे जल से भरे समुद्र का मार...
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