क्या है ग्रंथों में हनुमान जन्म के बारे में है?
रामायण।
पवनदेव और अंजना के बीच मानसिक बातचीत से हनुमान का जन्म हुआ है । (वाल्मीकि रामायण, किश्किंधाकाण्ड 66)
जब अंजना एक पर्वत पर गई, तो पवनदेव ने अंजना की सुंदरता को देखा काम-मोहित होके उन्होंने उस सुंदरी को अपनी दोनो विशाल भुजाओसे भरकर अपने ह्रदयसे लगा लिया (श्लोक 15)
जब अंजना ने पवनदेव के इस व्यवहार का विरोध किया तो वे कहते हैं की मै तुम्हारे एकपत्नी व्रत का नाश नही कर रहा हु. मैने तुम्हारे साथ मानसिक समागम किया है इससे तुम्हे बल पराक्रम से संपन्न बुद्धीमान पुत्र होगा (श्लोक 17/18)
शिवपुराण
विष्णु का मोहिनी रूप देख, शंकर का वीर्य स्खलित हुआ, तो सप्तर्षि ने उस वीर्य को एक पात्र में रख दिया. फिर अंजना के कान में वीर्य डाल दिया और अंजना गर्भवती हो गई और उसी से हनुमान का जन्म हुआ। (शिवपुराण, शतरुद्रसंहिता, अध्याय 10)
स्कन्दपुराण
स्कन्द
पुराण की कथा के अनुसार अंजना और वायुदेव आस पास रह रहे हैं अंजना ने
हनुमान को जन्म दिया जो केवल यह साबित करता है कि दोनों का एक अनैतिक
संबंध था ।
शादी के कई सालों बाद भी अंजना और केशरी का बेटा नहीं था। उस समय अंजन ने मंताग ऋषि के बयान पर वायुदेव की तपस्या की । अंजना की तपस्या से वायूदेव प्रसन्न हुए और अंजना के पास रहने लगे, आशीर्वाद से अंजना ने हनुमान जन्म दिया । (स्कंदपुराण, वैष्णव-भूमिवरहाखण्ड, अध्याय 73).
मानसिक संभोग से बेटा होना, आशीर्वाद से बेटा होना, कान में संगोष्ठी डालकर बेटा होना, विज्ञान विरोधी है । अंततः यह सिद्ध हो गया कि हनुमान जन्म के ग्रंथों में कथा विज्ञान विरोधी है ।
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गणेशजी की ही तरह हनुमानजी के स्वरूप और जन्म को लेकर भी काफी भ्रांतियाँ हैं।
रामायण समेत तमाम पुराणों मे हनुमानजी के जन्म को लेकर अलग-अलग कहानियाँ लिखी हैं।
हनुमानजी के जन्म को लेकर सबसे पहली कथा रामायण किष्किंधाकाण्ड सर्ग-66 मे मिलती है!
कथानुसार एक दिन अंजना पर्वत शिखर पर विचरण कर रही थी, तभी पवनदेव की दृष्टि उन पर पड़ी!
अंजना की सुन्दरता को देखकर पवनदेव काम-मोहित हो गये, और झपटकर अंजना को अपनी भुजाओं मे भरकर सीने से लगा लिए!
अंजना पतिव्रता नारी थी, उसने पवनदेव को धिक्कारते हुये कहा कि तुम कौन हो जो मेरा सतित्व नष्ट करने पर तुले हो?
पवनदेव ने कहा कि मै वायु का देवता पवन हूँ, मै तुम्हारे सतित्व को नष्ट नही करूँगा, बस तुमसे मानसिक समागम करके अपने जैसा ही बलवान और वेगवान पुत्र उत्पन्न करूँगा! हे देवी! इससे मेरी इच्छा भी पूरी हो जायेगी और तुम्हारा सतीत्व भी बचा रहेगा!
इसके बाद पवनदेव ने जो समागम किया उसी का परिणाम था कि हनुमान का जन्म हुआ! इसीलिये हनुमान को "पवनपुत्र" भी कहा जाता है! (चित्र-1&2)
दूसरी कथा शिवपुराण शतरुद्रसंहिता अध्याय-10 मे लिखी है।
इस कथानुसार जब विष्णु ने मोहिनी का रूप बनाया तो उस अद्वितीय सुन्दरता को देखकर शिवजी कामातुर हो गये और उनका वीर्यपात हो गया। तब सप्तऋषियों ने उस वीर्य को एक पात्र मे रख लिया और बाद मे उसी शिव-वीर्य को अंजना के कान-मार्ग से गर्भाशय मे स्थापित कर दिया और उसी के परिणाम-स्वरूप हनुमान का जन्म हुआ! यही कारण है कि हनुमान को शिव का रुद्रावतार भी कहते हैं। (चित्र-3)
वैसे शिवपुराण भले ही हनुमान को शिव का अवतार बताता है, पर पद्मपुराण पातालखण्ड अध्याय-119 मे तो शिव और हनुमान का युद्ध तक लिखा है, जिस युद्ध मे हनुमान अपने गदा से मार-मारकर शिव की पसलियां तोड़ डालते हैं! (चित्र-4 पढ़कर देख लें)
खैर हनुमान जन्म की तीसरी कथा स्कन्दपुराण वैष्णव-भूमिवाराहखण्ड अध्याय-73 मे लिखी है।
यहाँ लिखा है कि अंजना का विवाह केशरी नामक वानर से हुआ, पर कई वर्षों बाद भी उन्हे संतान पैदा न हुई। इसके बाद अंजना ने मतंगऋषि के आज्ञानुसार वायुदेव की घोर तपस्या की...
अंजना के तप से प्रसन्न होकर वायुदेव अंजना के पास ही रहने लगे तथा उनके आशिर्वाद से ही अंजना ने हनुमान को जन्म दिया। (चित्र-5)
इस पुराण मे जैसा लिखा है उससे तो नियोग वाला मामला लगता है।
खैर जो भी हो, पर हनुमानजी के जन्म के बारे मे सत्य कहना मुश्किल ही है।
वैसे मै यहाँ यह बताता चलूँ की हनुमान बन्दर नही बल्कि वानर थे।
हनुमान जी कर्नाटक के आदिवासी समुदाय से आते थे जो वन मे रहने के कारण "वानर" कहे जाते थे।
आज भी आस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों को आस्ट्रेलिया के राष्ट्रीय पशु कंगारू की वजह से "कंगारू" ही कहा जाता है, और न्यूजीलैण्ड के खिलाड़ियों को कीवी, पर वे न तो कंगारू हैं और न ही कीवी।
बस ऐसा ही हनुमानजी के साथ भी हुआ था।
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हनुमान जी के कई उपनाम है, जिनमे दो हैं "पवनपुत्र और केसरीनन्दन"
इन दोनो का मतलब है कि पवन का पुत्र और केसरी का पुत्र!
अब एक इंसान दो लोगो के पुत्र तो हो नही सकता, तो यह विचारणीय है कि हनुमान जी आखिर किसके पुत्र थे?
हनुमान की माँ अंजना का विवाह केसरी से हुआ था, पर ये पवनपुत्र वाला उपनाम कहाँ से आया यह रामायण किष्किंधाकाण्ड सर्ग-66 मे बताया गया है!
एक दिन हनुमान की माँ अंजना पर्वत शिखर पर विचरण कर रही थी, अचानक पवनदेव की दृष्टि उनके ऊपर पड़ी!
अंजना की सुन्दरता को देखकर पवनदेव काम-मोहित हो गये, और झपटकर अंजना को अपनी भुजाओं मे भरकर सीने से लगा लिए!
अंजना एक उत्तम-व्रत का पालन करने वाली नारी थी, उसने पवनदेव को धिक्कारते हुये कहा कि तुम कौन हो जो मेरा सतित्व नष्ट करने पर तुले हो?
पवनदेव ने कहा कि मै वायु का देवता पवन हूँ, मै तुम्हारे सतित्व को नष्ट नही करूँगा, बस तुमसे मानसिक समागम करके अपने जैसा ही बलवान और वेगवान पुत्र उत्पन्न करूँगा! हे देवी! इसके बावजूद भी तुम्हारा सतीत्व बचा रहेगा!
इसके बाद पवनदेव ने क्या किया होगा, यह बताने की जरूरत नही, और उसी समागम का परिणाम था कि हनुमान का जन्म हुआ! इसीलिये हनुमान को "पवनपुत्र" भी कहा जाता है!
खैर यहाँ सवाल यह है कि आखिर यह कैसे सम्भव है कि एक पुरुष किसी नारी से मैथुन करे तब भी नारी का सतीत्व तथा कौमार्य बचा रहे?
महाभारत मे सूर्यदेव ने भी कुन्ती को ऐसे ही लुभावना देकर उससे समागम किया तथा कर्ण को पैदा किया! सूर्य ने कुन्ती से कहा था कि पुत्र उत्पन्न होने के बाद तुम फिर कौमार्य को प्राप्त होकर कन्या बन जाओगी!
हद है भाई, कौमार्य क्या हलवाई के दुकान की मिठाई है कि खरीदकर लाओ और दे दो!
कन्या केवल उस बालिका को कहा जाता हैं जिसने कभी पुरुष-संसर्ग न किया हो! यहाँ तो पुत्र पैदा करने के बाद पुनः कौमार्य देने का प्रलोभन दिया जा रहा है!
आखिर बच्चा पैदा होने के बाद देवता किस विधि से महिला की सर्जरी करते थे कि वह पुनः कौमार्य को प्राप्त हो जाती थी!
वास्तव मे ये जितने देवता थे सब के सब कामपिपासु और स्त्रीलम्पट थे! इन्हे महान बनाकर भोले-भाले लोगो से पूजवाया जा रहा है, क्योंकि लोगो को इनकी सच्चाई पता ही नही है!
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हनुमान 2 पिता के पुत्र थे।
सुमेरु नाम का एक पर्वत है जिसका रूप भगवान सूर्य की भेंट से सुनहरा हो गया है जहाँ हनुमानजी के पिता केसरी राज करते थे। (श्लोक 19)
उनकी अंजना नाम की पत्नी थी, उसके गर्भ से वायुदेव ने एक पुत्र को जन्म दिया (श्लोक 20)।
(वाल्मीकि रामायण उत्तर कांड सर्ग अध्याय 35, श्लोक 19, 20, गीताप्रेस पेज 697)
19 वें श्लोक में केसरी को हनुमना का पिता कहा जाता है।
20 वें श्लोक के अनुसार वायुदेव ने हनुमना को जन्म दिया है।
रामायण के लेखक को नहीं पता कि दोनों में से कौन असली पिता है।
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हनुमान और उसके पांच भाई
ब्रह्मांडपुराण के अनुसार हनुमान के पांच सगे भाई बताए गये हैं। इसी पुराण में हनुमान के पिता केसरी एवं उनके वंश का वर्णन पढने को मिलता है। सबसे बड़ी बात यह है कि पांडु पुत्रों में कर्ण की तरहं हनुमान भी तब पैदा हुए जब उनकी माँ " बिना शादी करवाए कुवांरी लकड़ियाँ थीं और कर्ण की तरहं ही हनुमान भी अपने पांचों भाइयों में सबसे बड़े थे। यानी हनुमानजी को शामिल करने पर वानर राज केसरी के कुल 6 पुत्र थे।
सबसे बडे बजरंगबली हनुमान के बाद इनके भाई क्रमशः :-
1. मतिमान,
2. श्रुतिमान,
3. केतुमान,
4. गतिमान,
5. धृतिमान थे।
इन सभी के संतानें भी थीं, जिससे इनका वंश वर्षों तक चला। खेद का विषय है कि शादीशुदा होने के बावजूद हिंदु धर्म के हिंदु हनुमान के वंशज नही बने।
अलग-अलग कथा-कहानियों में दुर्वासा ऋषि ने कर्ण की कुवांरी मां कुंति को अपने मनपसंद बच्चे पैदा करवाने का वर-दान दिया, जबकि हनुमान की कुवांरी मां अंजनी (पुंजीकस्थला, अप्सरा/तवायफ) को कुवांरी उम्र में एक बच्चे की मां बनने का अभिशाप दिया। हनुमान सूर्य का जवाईं बना' वहीं कर्ण सूर्य का बेटा माना जाता है।
हनुमान के बारे में जानकारी वैसे तो अनेकों रामायणें, श्रीरामचरितमानस, महाभारत रामकीयेन रामाकृति आदि और अनेकों धर्म के धर्म ग्रंथ-किताबों में मिलती है। लेकिन उसके बारे में कुछ ऐसी भी बातें हैं जो बहुत से धर्म ग्रंथों में उपलब्ध हैं और अधिकांश लोग इन्हें खरीद कर पढते भी नही हैं, जिनमें से पुराण' भी उन्हीं में से एक है।
हनुमान को कुवांरी लडकी से पैदा बताने की अनेक कथा-कहानियां लिखी गयी हैं। जिसमें पवन व अंजना के अवैध सम्बन्ध से हनुमान पैदा हुए, जबकि अंजनी के साथ अलग-अलग शिव के अलग-अलग तरीके से अवैध सम्बंधों से अलग-अलग हनुमान पैदा हुए बताते हैं। इनमें मारुति भी शामिल है। जबकि एक बच्चे की मां बनने के बावजूद केसरी नामक बंदर के मुंह वाले से शादी होती है। एक बच्चे के चार-चार बाप बताने पर भी हनुमान पूजनीय बताए जाते हैं। जबकि इन्हें कुलछेदकों की श्रेणी में डाला गया है।
रावण के दस सिर व बीस हाथ बताए जाते हैं, जिसमें बीस टांग वाले भी रावण हैं। जबकि हनुमान के पांच सिर दस हाथ की मूर्तियाँ व तस्वीरें जगह-जगह देखने व पूजने को मिलती हैं। रावण की बेटी राजकुमारी मत्स्या हनुमान की दूसरी बीवी बताई जाती है। हालांकि हनुमान के अनेकों बीवियां कही जाती हैं, हनुमान के मकरध्वज व Macchanu नाम के बेटे भी बताए जाते हैं।
हे हनुमान जी अपने भक्तों के हनुमान जैसा पिता अंजनी जैसी माता व मकरध्वज जैसे शरीर वाले बच्चे पैदा हों। तथास्थू
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हनुमान लीला नाटक
राम और पांडव पाँच पाँच भाई थे और कुवांरी लड़कियों से पैदा हुए हनुमान व कर्ण के भी 5 - 5 भाई थे। हनुमान को राम का भाई नही बताया वैसे ही कर्ण को भी पांडवों का भाई नही माना। जबकि नौकरानी से पैदा हुए विदुर को पांडु का भाई बताया है परन्तु हनुमान को राम का नौकर माना है।
विचित्रवीर्य की दो पत्नियाँ व एक नौकरानी वेदव्यास के साथ सम्भोग करवाती हैं जबकि दशरथ की तीनों पत्नियाँ ऋष्यश्रृंग के साथ रहकर अश्व मेध (बलि) के दौरान खीर खाती हैं, इसी बीच अंजनी भी सुमित्रा के हिस्से की खीर खाकर हनुमान को पैदा करती है।
अलग-अलग कथाओं में हनुमान के चार बाप बताए जाते हैं जो एक साथ हनुमान चालिसा में पढे भी जाते हैं। कथा में सबसे पहले हनुमान को पवन का बेटा बताया जाता है। और उसके बाद की अलग-अलग कथा-कहानियों में शिव का बेटा बताया है।
अधिकांश कहानियों में हनुमान का मुंह बंदर जैसा व अंजनी की शादी बंदर के शक्ल-सू्रत वाले कंजर जाति के केसरी से बताई जाती है और हनुमान को बंदर की शक्ल-सू्रत में पूंछ वाला दिखाया जाता है। जबकि आर्य-नमाज द्वारा लिखित हनुमान लीला (नाटक) में हनुमान को बिना-पूंछ, बिना-मूंछ व बिना बंदर की शक्ल सूरत में बताया गया है।
इंद्रसभा इंद्रपूरी इंद्रलोक यानि तवायफखाने में नाचने गाने वाली अप्सरा यानि तवायफ पुंजीकस्थला को दुर्वासा की बद-दुआ (शाप गाली) से अंजनी बंदरी बनती है तो किसी कहानी में गौतम ऋषि की बेटी भी बताई जाती है। कुवांरी अंजनी से बेटा पैदा बताने हेतु अनेक धर्म के लेखकों (ऋषि-मुनियों) ने अलग-अलग कहानियाँ लिखी गयी हैं।
हे हनुमान जी आपके खानदान की ही तरहं आपके भक्तों को ढेर सारे पिता व अंजनी जैसी माता /पत्नी मिले और हनुमान व मकरध्वज की शक्ल-सू्रत में ही आपके परम भक्तों के बच्चे पैदा हों तथास्थू
विभिन्न व्रह्मा, विष्णु,शिव व देवियों के पैदा होने की कथाएँ , पढें व जानें :-
01. आकाश मार्ग से महाप्रभु धरती पर आए। उन्होंने पानी में हस्तमैथुन किया। तब पानी में एक स्वर्ण अण्डा पैदा हुआ । महाप्रभु ब्रह्मा बनकर, अंडे से बाहर निकले और स्वर्ण अण्डे के दो टुकडे किये, तब सोने के अण्डों के खोल से नर व नारी पैदा हुए। इनके सहवास से मनु व विराज पैदा हुये । मनु व विराज ने ही इस संसार का निर्माण किया। (ब्रह्म-पूराण)
02. महाप्रभु ने पानी में हस्तमैथुन द्वारा वीर्यस्खलन कर देने से पानी में एक स्वर्ण अण्डा बना और अण्डे में कई वर्ष पडे रहने के बाद स्वयं महाप्रभु' ब्रह्मा के रुप में स्वर्ण अण्डे के दो टुकडे किये और अंडे से बाहर निकले।
अण्डे के एक खोल से द्युलोक (नरक, धरती) व अंतरिक्ष (स्वर्ग-लोक) पैदा हुए। फिर ब्रह्मा ने अपने मुंह से दस प्रजापतियों को जन्म दिया। इन प्रजापतियों ने ही इस संसार का निर्माण किया। (मनुस्मृति)
03. आकाश मार्ग से ब्रह्मा आए, फिर ब्रह्मा से मरीचि, मरीचि से कश्यप, कश्यप से विवस्वान, विवस्वान से मनु पैदा हुए । मनु ने इस संसार का निर्माण किया। (रामायण) । रामायण के अनुसार सर्वप्रथम अहल्या नाम की बांझ औरत पैदा हुई, जिसके अष्ट-अंग (योनि) पर राम ने लात मारकर पत्थर से पुन: नारी बनाया यानि उद्धार किया।
04. कबूतर की विष्ठा-के-अणु से विष्णु पैदा हुए, फिर विष्णु की नाभि के मल में कमल खिला और उसमें ब्रह्मा पैदा हुए। ब्रह्मा ने अपने मुख से ब्राह्मण, सरस्वती आदि पैदा किये। ब्रह्मा ने अपनी ही बेटी सरस्वती के साथ क ई वर्षो तक सहवास करते रहे और धरती के विभिन्न जीव-जन्तुओं व पशु-पक्षियों, सृष्टि आदि निर्माण करते रहे। (विष्णुपुराण)
05. आकाश मार्ग से श्रीदेवी नामकी महिला धरती पर आई । संसार के निर्माण हेतु उसने अपने गर्भ से ब्रह्मा को पैदा किया और अपने बुद्धिमान पुत्र ब्रह्मा से सहवास करने हेतु, निवेदन किया। मगर ब्रह्मा ने पुत्र होने के नाते, अपनी माँ श्रीदेवी के साथ मिलन करने से मना कर दिया। तब क्रोधित होकर, श्रीदेवी ने ब्रह्मा को भस्म कर दिया और बुद्धिमान व चालाक विष्णु को अपने अंश से पैदा किया। पुत्र विष्णु से भी सृष्टि के निर्माण हेतु श्रीदेवी ने उसके साथ सहवास करने हेतु निवेदन किया। मगर विष्णु ने भी माँ-बेटे का रिश्ते का हवाला देकर श्री देवी से मिलन करने से मना कर दिया। तब आगबबूला होकर श्रीदेवी ने अपने बेटे विष्णु को भी भस्म कर दिया और भोलेभाले शिव को अपनी कोख से पैदा किया।
श्रीदेवी ने शिव से भी सहवास करने का निवेदन किया। शिव ने मौके की नजाकत को समझा और फ़ौरन सहवास के लिये राजी हो गया। अचानक शिव ने राख की दो ढेरियों के बारे में अपनी मां श्रीदेवी से जानना चाहा तो, श्रीदेवी ने बताया कि ये दोनों भी तुम्हारे बडे भाई व्रह्मा और विष्णु हैं और इन्होंने सृष्टि के निर्माण हेतु उसके साथ मिलन करने के लिये इन्कार कर दिया तब, इनको भस्म करना उचित समझा।
शिव ने अपनी मां श्रीदेवी से प्रार्थना की और कहा कि वह पहले व्रह्मा व विष्णु को पुनर्जीवित करें और अपने गर्भ से इनके लिये भी एक एक पत्नी के रुप दो लडकियां पैदा करें। श्रीदेवी सहमत हो गयीं और ब्रह्मा व विष्णु को पुनर्जीवित किया तथा अपने गर्भ से दो कन्याओं को जन्म दिया और दोनों युवतियों कमला व लक्ष्मी को बीवी के रुप में व्रह्मा व विष्णु को सौंप दिया तथा खुद श्री देवी पार्वती के रुप में शिव की पत्नी कहलाई।(स्कन्ध-पूराण)
06. शिव ने मुख से ब्रह्मा को और बाजु से विष्णु को पैदा किया। (लिंगो-पूराण)
व्रह्मा विष्णु शिव के पैदा होने की स्टोरी सम्पन्न
आगामी धारावाहक कथाओं में राम-हनुमान आदि की जन्म कथाएँ एवं इनके द्वारा किए गये कारनामों पर भी प्रवचन जारी रहेंगे।
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