ऋग्वेद में भयानक खगोल विज्ञान
दिप्तीमान और सर्वप्रकाशक सुर्य ! हरित् नाम के सात घोडे रथ मे तुम्हे ले जाते है. किरणे हि तुम्हारे केश है. ( मंत्र 8)
सुर्य ने रथवाहिका सात घोडीयों को रथ मे संयोजित किया. उन संयोजित घोडीयों द्वारा सुर्य गमन करते है. (मंत्र 9)
(इंडियन प्रेस, पब्लिकेशन्स, प्रयाग, ऋग्वेद सायणभाष्य हिंदी अनुवाद, पंडित रामगोविंद त्रिवेदी, पृष्ठ 67)
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सूर्य के पैदा होने की कहानी (कथा)-
अलग-अलग ऋषि-मुनि मनु ने अपने-अपने धर्म के पूरानी किताब-ग्रंथों के देवी-देवताओं ऋषि-मनु मनु आदि के पैदा होने की अलग-अलग कहानियाँ लिखी हैं। कहानियों के मुख्य कलाकारों के नाम भले ही एक जैसे हों परन्तु उन्हें पैदा करने के तरीके व अलग-अलग कथा-कहानियों के रुप में अलग-अलग नाटक-ड्रामा यानि लीलाएं लिखी गयी हैं। फिर सभी धर्म के धर्माचारियों ने एकराय होकर सभी देवी-देवता, खलनायक आदि को विष्णु शिव ब्रह्मा व दुर्गा की नकल (अवतार) बताकर उन्हें एक-दूसरे के एक होने का भ्रम पैदा किया गया है।
इसी तरहं शिव विष्णु ब्रह्मा दुर्गा, हनुमान राम कृष्ण सप्तर्षि आदि के भी पैदा होने की श्लोक, छंद-सुक्त, आयत के रुप में अनेकों नाटक-ड्रामा यानी लीला व इनसे अनुवादित कथा-कहानियां लिखी गयी हैं।
राजनीतिक पार्ट्रियों की तरहं ही हर धर्म के पहनावे चुनाव-चिन्ह (प्रतीक-चिन्ह), तिलक का डिजाइन स्मृति-संहिता, शारीरिक पहचान, झंडे आदि भी अलग अलग होते हैं।
सूर्य से सूर्य कैसे पैदा हुआ?
एक कहानी के अनुसार जंगे-मैदान (कुरु-क्षेत्र, युद्ध-स्थल) में हारे हुए देवताओं की रक्षा के लिए प्रजापति दक्ष की कन्या अदिति ने सूर्य से उसके जैसा एक बेटे पैदा करने की प्रार्थना की। अदिति का पति कश्यप के होते हुए भी सूर्य ने उचित मौका मिलने पर अदिति की इच्छा पूरी करने का वादा किया। इंद्र ने भी चांद के साथ मिलकर गौतम की बीवी अहल्या के साथ ऐसा ही कारनामा कर चुके थे।
जब सूर्य दिन के समय धरती का चक्कर लगा रहा था' तब उसी दौरान सूरज और अदिति के मिलन से अदिति गर्भवती हो गयी। माना जाता है कि सनातन धर्म के सनातन काल में दाई की कोई जरुरत नही होती थी। उस काल में किसी आदमी द्वारा महिला के कान में पुंगी बजाने से, महिला द्वारा किसी मनुष्य को जी भरकर देखने से, हवा से, सूंघने से, मैल से, आशीर्वाद से, किसी आदमी की छाया महिला पर पडने से, लंगोट (अंडरवियर कच्छा) सूंघने से महिलाएँ गर्भवती हो जाती थीं और बिना किसी दाई के महिलाएँ डिलीवरी करने में एक्सपर्ट मानी जाती थीं। इसके अलावा भेड-बकरियों के बच्चों की तरहं सनातन काल की महिलाओं के बच्चे पैदा होते ही कपड़े पहने हुए दौडने, संस्कृत भाषा में बातचीत करने व धुआंधार लडाई भी करने लगते थे।
अदिति के पेट से पैदा होते ही सूर्य ने असुरों से लडाई करते हुए, देवताओं की रक्षा की। सूर्य के बीज से अदिति के पेट से पैदा होने के कारण उसे मार्तण्ड भी कहा जाता है। अलग-अलग धर्म की किताब-ग्रंथों में सूर्य को Sun सूरज रवि भास्कर, प्रभाकर, दिनचर, आदित्य, मिहिर, रजनीश आदि नामों से या एक-दूसरे का अवतार भी बताया जाता है।
सूर्य आदित्य लोक का रहने वाला है। इनके सात सफेद घोड़ों वाला रथ है। कहीं-कहीं सात घोडे की जगह सात घोडों के मुंह वाला एक घोडा बताया जाता है। सूरज के चार हाथ हैं, जिनमें से दो हाथों में इन्होंने पद्म पकड़ा हुआ है तथा दो हाथ ऊपर-नीचे हवा में झूल रहे हैं।
सूर्य का परिवार-
हिंदु धर्म के नाम से कहे जाने वाले' रामानिज्म जैनिज्म अय्याविज्म आदि धर्मों की किताब-ग्रंथों के अनुसार सूर्य की मां का नाम अदिति तथा इनके बाप का नाम महर्षि कश्यप है। माना जाता है कि कश्यप कछुए से पैदा हुए थे। सूर्य की प्रभा, उषा, दोपहरी, छाया, संध्या, छाया, संज्ञा व रजनी नाम की अनेकों बीवियां हैं।
सूर्य के यम, कर्ण व शनि नाम के बेटे व सूवर्चला नाम की एक बेटी है। सूर्य का जवांई हनुमान को बताया जाता है। क्योंकि हनुमान अपने होने वाले ससुर सूर्य सेब समझ कर निगल गया था। तब राहुकेतु ने हनुमान का मुंह तौडकर सूर्य को हनुमान के मुंह से आजाद करवा दिया था।
सूर्य और सूर्य के बेटे शनि के बीच पारिवारिक लडाई चल रही है। शनि देव को अपने बाप से शिकायत है कि उसके पिता छाया, संध्या व संज्ञा के साथ दिनभर मौलमस्ती करते हैं और जब उनकी माता रजनी के आने का समय होता है तो सूर्य दिनभर की थकान उतारने के बहाने संध्या संज्ञा के साथ छुप जाते हैं। शनि अपने बाप सूर्य से बदला लेने के लिए सूर्य पर ग्रहण लगा देता है। खैर बाप बेटे में आज भी नोकझोंक चलती हुई बताई जाती है।
अमेरिका के ऋषि-मुनियों ने चार अन्य सूर्यों के होने के बारे में पता लगाया है। पर ये कब कहां, कैसे व किसने पैदा किये हैं तथा उनके माता-पिता की खोजबीन की जा रही है।
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