बचपन मे मै बुजुर्गों से एक कहानी सुनता था कि जब एक धोबी के ताना मारने पर राम ने सीता का त्याग कर दिया था, तब क्रोध मे आकर सीता ने धोबियों को श्राप दिया था कि "तुम लोगों ने मेरे चरित्र पर झूठा दाग लगाया है, तो मै श्राप देती हूँ कि तुम लोग भी जीवन भर दूसरों का दाग ही धोते रहोगे।"
अब यदि लोककथाओं की माने तो धोबी इसी श्राप की वजह से दूसरों के कपड़े धोते हैं।
वैसे यह श्राप वाली कथा आज तक तो मैने किसी पुराण या अन्य धर्मग्रंथ मे पढ़ा नही है, लेकिन अभी भी कई बार गाँवों मे लोग धोबियों को यह कहकर जरूर चिढ़ाते हैं कि तुम लोगों ने सीता माता पर लांक्षन लगाया था।
अब अगर हम इस कथा की पड़ताल करे की क्या सचमुच राम ने किसी धोबी के कहने पर सीता को वन मे भेजा था तो इसके भी कहीं कोई प्रमाण नही है। अक्सर हम रामकथा मे कुछ ऐसी बातें भी मानते हैं जो रामायण और मानस दोनो मे नही लिखी है। जैसे कि शबरी के जूठे बेर खाना, लक्ष्मण का लक्ष्मण-रेखा खीचना और धोबी का सीता को ताना मारना।
वास्तव मे ये कपोल कहानियां "पद्मपुराण" की देन है।
रामायण मे सीता के परित्याग का वर्णन उत्तरकाण्ड सर्ग-43 मे है!
यहाँ स्पष्ट लिखा है कि रामजी के एक मित्र भद्र ने आकर बताया कि नगरवासी सीताजी को लेकर अशुभ बातें करते हैं!
यहाँ साफ नगरवासियों का नाम है, किसी "धोबी" का उल्लेख भी नही है!
रामचरित मानस मे तो तुलसीदास ने इस (सीता परित्याग) कथा को लिखा ही नही है, फिर आखिर ये "धोबी" का नाम आया कहाँ से?
दरअसल पद्मपुराण/पातालखण्ड अध्याय-125 मे एक कथा आती है कि वाल्मीकि के आश्रम मे एक शुक (तोते) का जोड़ा रहता था! एक दिन जब वाल्मीकि अपने शिष्यों को रामायण सुना रहे थे (मान्यता है कि वाल्मीकि जी ने पूरी रामायण पहले ही लिख दी थी) तब तोते के उस जोड़े ने सारी रामायण कथा सुन ली, और वहाँ से उड़कर वह मिथिला आ गया!
मिथिला के एक बगीचे मे तोते का वह जोड़ा राम और सीता की बातें कर रहा था, और संयोग से सीता भी उसी बगीचे मे बैठी थी... उन्होने सारी कथा सुन ली तथा
कौतुहलवश उन्होने सुग्गी (तोते की पत्नी) को पकड़ लिया, और अपने बारें मे और कथा पूँछने लगी!
सीता ने कहा कि मुझे बताओ मेरे होने वाले पति राम कौन है?
वे देखने मे कैसे है?
उनमे क्या विलक्षण गुण है?
सीता ने जब सुग्गी को पकड़ा उस समय वह गर्भवती थी, उसने सीता से निवेदन किया कि मुझे छोड़ दो, पर सीता ने उसे नही छोड़ा!
सुग्गी ने कहा कि देखो मेरा पति (तोता) मेरे बिना तड़प रहा है, मुझे जाने दो, मै अभी कुछ नही बता सकती! पर सीता ने उसकी एक न सुनी, और कहा कि जब तक तुम नही बताओगी, तब तक मेरे पास कैद रहोगी।
काफी अनुनय-विनय करने के बाद भी जब सीता ने उस सुग्गी को नही छोड़ा तब उसने सीता को श्राप दिया कि- "तुमने मुझे गर्भावस्था मे मेरे पति से अलग किया है, अब तुम भी जब गर्भवती होगी तब तुम्हे भी अपने पति से वियोग सहना पड़ेगा"
ऐसा कहकर उसने वहीं अपने प्राण त्याग दिये!
सुग्गी की मृत्यु के बाद तोते ने भी सीता को श्राप दिया कि "मै अगले जन्म मे तुम्हारे पति से वियोग का कारण बनूँगा!"
ऐसा कहकर वह तोता भी मर गया, और कथानुसार वही तोता अगले जन्म मे "धोबी" बनकर अयोध्या मे पैदा हुआ था।
अब पद्मपुराण की यह कथा कितनी सही या कितनी झूठ है, इसे आप लोग भी समझ सकते हो...
वैसे इसी पातालखण्ड मे यह भी लिखा है कि जब राम ने सीता से विवाह किया उस समय सीता की उम्र 6 वर्ष और राम की उम्र 15 वर्ष थी! तो क्या एक 6 साल की लड़की इतना जिज्ञासु हो सकती है कि अपनी शादी और होने वाले पति का विवरण जानना चाहती थी।
वैसे अगर पद्मपुराण की कथा को सत्य ही मान लिया जाऐ तो सीता ही सारे फसाद की जड़ है, उन्होने तोते के जोड़े को त्रास दिया, तभी यह घटना घटी!
लोग पद्मपुराण की इसी कथा को सच मानकर अभी भी कई बार बेचारे धोबियों को शर्मसार करते हैं। ऐसी बेबुनियादी कथाओं वाले पुराणों को तो आग लगा देना चाहिये, और इनके रचयिता पौराणिक पंडों को तो यदि उबलते हुये कड़ाह भर तेल मे डाल देते तो भी अपराध न होता।
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