Saturday, 28 November 2020

श्रवणकुमार।

श्रवणकुमार एक अंधे ऋषि के पुत्र थे! उनके माता-पिता वन मे कुटिया बनकर तप करते थे और श्रवणकुमार उनकी सेवा।
अब एक सवाल उठता है कि यदि श्रवणकुमार के माँ-बाप ऋषि थे तो श्रवणकुमार को मारने के लिये दशरथ को "ब्रह्महत्या" का पाप क्यों नही लगा?

मेरे कई सनातनी मित्र (खासकर आर्यसमाजी) कहतें हैं कि वैदिककाल मे ब्राह्मण कोई जन्म से नही, बल्कि कर्म से होता था, तो भइया... श्रवणकुमार और उनके माँ-बाप के सारे कर्म तो ब्राह्मणों वाले ही थे, फिर आखिर उन्हे उस दौर मे ब्राह्मण क्यों नही माना गया?

आज मै आप मित्रों को श्रवणकुमार के जीवन से जुड़ी कुछ वह बातें बताऊँगी जिसे शायद आप नही जानते होंगे।
मैने भीमवादियों को कई बार यह सवाल करते देखा हैं कि जब चारों धाम शंकराचार्य ने आठवीं सदी मे बनवाये तो श्रवणकुमार किन चारों धामों की यात्रा करने द्वापरयुग मे निकले थे?
असल मे यह सब झूठ है, वाल्मीकि रामायण अयोध्याकाण्ड सर्ग-63,64 (चित्र-1) मे श्रवणकुमार की कथा लिखी है। रामायण मे साफ लिखा है कि श्रवणकुमार के माता-पिता अंधे थे और जंगल मे कुटी बनाकर तप करते थे! मतलब श्रवणकुमार से जुड़ी वह सारी कथा गप्प है जिसमे कहा जाता है कि श्रवणकुमार एक कांवड़ बनाकर अपने माता-पिता को चारधाम की यात्रा कराने जा रहे थे!

अब दूसरा सवाल यह है कि एक ऋषि के पुत्र को मारने पर भी राजा दशरथ ब्रह्महत्या के दोषी क्यों नही हुये?
इसका जवाब भी रामायण मे ही है! अयोध्याकाण्ड सर्ग-63 श्लोक-51 (चित्र-2) मे लिखा है कि श्रवणकुमार खुद दशरथ से कहते हैं कि "हे राजन! मै वैश्यपिता और शूद्रमाता के गर्भ से पैदा हुआ हूँ, अतः आपको ब्रह्महत्या का पाप नही लगेगा"

अगले सर्ग (64) के श्लोक-55-56 (चित्र-3) मे श्रवणकुमार के पिता ने दशरथ से कहा है- "क्षत्रिय होकर तुमने एक वैश्यजातीय मुनि की हत्या की है, अतः तुम ब्रह्महत्या के पाप से तो बच जाओगे पर मै तुम्हे कठोर श्राप दूँगा"

उक्त श्लोकों से यह स्पष्ट है कि इतने तपी और माता-पिता की इतनी सेवा करने बाद भी न तो श्रवणकुमार ब्राह्मण बन पाये और न ही उनके माता-पिता।
अब सवाल यह है कि आखिर कैसे मान लिया जाये कि किसी युग मे लोग अपने अच्छे कर्मों से ब्राह्मण बन जाते थे?

वास्तव मे अच्छे-बुरे कर्मों से कोई ब्राह्मण या शूद्र नही होता था! यदि ऐसा होता तो परशुराम कभी ब्राह्मण न होते और राजा सुदास कभी शूद्र न होते।


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मित्रों, 
श्रवण कुमार की कथा तो आप सभी ने बचपन से सुनी होगी , यही वो कथा है जिसने बचपन से लेकर जवानी तक सभी की जिन्दगी में कोहराम मचा रखा है, बात बात पर हमारे बड़े बुजुर्ग श्रवण कुमार का उदाहरण देकर नसीहतें दिया करते हैं,

और एक हम लोग हैं जो यही नहीं जानते कि श्रवण कुमार की जो कथा हम सुनते आ रहे हैं वो सच भी है या नहीं ?

यही बताने के लिए हमने इस कथा की खोजबीन की, जो परिणाम हमारे सामने आया वो इतना रोचक है कि आप खुद चौंक जाएंगे,
 श्रवण कुमार की प्रचलित कथा के कुछ तथ्य  

हमारे देश में पाखंड की इतनी भरमार है कि धर्म के नाम पर पाखंडियों की बहार है,
कोई पाखंडी श्रवण कुमार को धनाढ्य बताता है,

तो कोई पाखंडी उसे विवाहित बताता है,
कोई पाखंडी श्रवण कुमार द्वारा अपने अंधे माता पिता को कांवरियों की तरह तीर्थ यात्रा कराना बताता है,

तो कोई पाखंडी श्रवण कुमार को चारधाम की यात्रा कराता है, 
कोई पाखंडी श्रवण कुमार को अंधक ऋषि का पुत्र बताता है,
जिस पाखंडी को जहाँ मौका मिला उसने लूज गेंद पर चौका नहीं सीधा छक्का लगाया!
चलो मित्रों अब हम बताते हैं असली कथा क्या है ?
श्रवण कुमार की असली कथा 

मित्रों श्रवण कुमार की असली कथा वाल्मीकि रामायण के अयोध्या कांड में सर्ग 63 से शुरू होती है जब राजा दशरथ राम को वनवास देते हैं तब वो कौशल्या को बताते हैं कि कैसे उन्होंने एक निर्दोष की हत्या की!
मित्रों कथा के अनुसार श्रवण कुमार और उसके माता पिता सरयू तट पर वन में कुटिया बनाकर रहते थे,

श्रवण कुमार उन दोनों की सेवा किया करता था वो अपने माता पिता के लिए पानी लेने आया था जब राजा दशरथ के शब्द भेदी बाण ने उसके प्राण ले लिए, जब इस घटना की जानकारी दशरथ श्रवण कुमार के माता पिता को देते हैं तो वे दशरथ को श्राप देकर प्राण त्याग देते हैं,
वाल्मीकि के अनुसार श्रवण कुमार के माता पिता के श्राप की वजह से राम का वनवास व दशरथ की मृत्यु हुई!

??चलिए आईये तर्क बुद्धि से इसकी जांच कर लेते हैं??

मैंने वाल्मीकि रामायण के श्रवण कुमार से संबंधित सभी फोटो नीचे लगाए हैं उन्हें जरूर क्रमवार पढ़ना,

1. श्रवण कुमार अगर धनाढ्य था तो जंगल में अपने माता पिता के साथ क्यों रहता था ?

2. श्रवण कुमार अगर धनाढ्य था तो मृगचर्म (हिरन की खाल) क्यों पहने था ?

3. श्रवण कुमार अगर विवाहित था तो वाल्मीकि ने अपनी रामायण में उसकी पत्नी का उल्लेख क्यों नहीं किया ?

4. श्रवण कुमार अगर अपने माता पिता को तीर्थ यात्रा करा रहा था तो वाल्मीकि ने अपनी रामायण में उल्लेख क्यों नहीं किया ?

5. श्रवण कुमार को चारधाम की यात्रा कराने वाले जानते भी हैं कि चारधाम की स्थापना किसने और कब की थी ?

6. छठी शताब्दी में आदि शंकराचार्य ने चारधाम की स्थापना की थी 
जो सर्व विदित है, अंकित है चारधामो के शिलालेखो पर लिखा हुआ है,
जबकि रामायण का कथानक त्रेता युग का बताया जाता है!

7. ये कैसे संभव है कि त्रेता युग के पात्र कलियुग में आकर कांड करें फिर त्रेता युग में जाकर उसका श्राप झेलें 

मै समझ नही पाया  हू अभी तक
ये श्रवण कुमार कहा ले जा रहा था अपने माता पिता को?

समझने की बात है, सोचो जानो परखो। हम लोगो को जैसे बताया जाता है हम वैसे ही मान लेते है, चितंन मनन नही करते, ये बात हमारे पुर्वज पढे लिखे होते तो जरुर सोचते जॉचते, लेकिन आज  हम शिक्षित   होते हुए भी अनपढ़ गवार से भी गए गुजरे हैं

जैसे ही सरवण कुमार का सच लोगो को मालूम हुआ मार्केट में 5 नई कहानियां और आ गई
उन पाचों कहानियों में श्रवण कुमार  कहीं नहीं है

नीचे 👇 दिए गए फोटो पढ़कर अपनी बुद्धि से धर्म के पाखंड दूर भगाएँ,
धर्ममुक्त बनें मानवता को अपनाएँ,




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