Friday, 27 November 2020

अथर्वेद

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------अथर्ववेद-भाग-१--
जानिए-आर्यों के वेद-अथर्ववेद में कौन सा ज्ञान और विज्ञान छुपा हुआ है-
▪अक्ष्यौनि विध्य हृदयं नि विध्य जिह्वां नि तृद्धि प्र दतो मृणी पिशाचो अस्य तमो जघासाग्ने यविष्ठ प्रति तं शृणीहि ॥ 4 ॥.

हे अग्ने ! इसको खाने वाले पिशाच के नेत्रों को फोड़ डाल और हृदय को बींध दे , उसकी जिह्वा को काट और दांतों को तोड़ दे,इस प्रकार तू उसको नष्ट कर डाल.

▪यदस्य हृत विहृतं यत् पराभृतमात्मनो जग्धं यतमत् पिशाचैः । । तदग्ने विद्वान् पुनरा भर त्वं शरीरे मांसमसुमेरयामः ॥ 5 ॥ .

इसके शरीर का जो भाग पिशाचों ने हर लिया है और जो भाग खा लिया है , हे अग्ने ! तू उस भाग की पूर्ति कर दे,इसके शरीर में हम मांस और प्राणों को मंत्रादि प्रयोग से फिर स्थापित करते हैं.

▪क्रव्यादमग्ने रुधिरं पिशाचं मनोहनं जहि जातवेदः । तमिन्द्रो / वाजी वज्रण हन्तुच्छिनत्तु सोमः शिरो अस्य धृष्णुः । । 10 ॥.

हे जातवेदा ( अग्नि ) ! मांस का भक्षण करने वाले और रक्त को पीने वाले पिशाचों को नष्ट करो  शक्तिशाली इन्द्र उन पर अपने वज्र का प्रहार करे और सोम उनके सिर को काट डाले .

▪सनादग्ने मृणसि यातुधानान् नत्वा रक्षसि पृतनासु जिग्युः । सहमूराननु दह क्रव्यादो मा ते हेत्या मुक्षत दैव्यायाः ॥ 11 ॥ 

पीड़ा पहुंचाने वाले राक्षसों को नष्ट करने वाले हे अग्ने ! युद्ध में राक्षस और पिशाच तुझे असफल नहीं कर सकते,मांस भक्षण करने वाले को तू भस्म करे तथा तेरे दिव्य शस्त्रों से कोई बच न सके.

▪आ यं विशन्तीन्दवो वयो न वृक्षमन्धसः । । विरप्शिन् वि मृधो जहि रक्षस्विनीः ॥ 2 ॥ 

▪जिस प्रकार वृक्षों पर पक्षी पहुंचते हैं ,उसी प्रकार जिनके पास अभिषुत सोम पहुंच जाता है , ऐसे हे विज्ञानी इन्द्र ! तू आसुरी प्रवृत्ति वालों को नष्ट करे.

▪सुनोता सोमपाने सोममिन्द्राय बज्रिणे । । युवा जेतेशानः स पुरुष्टतः ॥ ३ ॥ 

हे अध्वर्यो ! सोम का पान करने वाले , शत्रुहंता , वज्रधारी , सदा युवा , सारे जगत् के अधिष्ठाता , यजमानों की कामना - सिद्धि करने वाले इन्द्र के निमित्त सोम अभिषुत करो तथा उस इन्द्र की स्तुति करो । । 

तीसरा सूक्त | ( ऋषि - अथर्वा ( स्वस्त्यनकाम ) । देवता - इंद्र , पूषा आदि । । छन्द - बृहती , जगती । ) 

▪पातं न इन्द्रापूषणादितिः पान्तु मरुतः । ॥ अपानपात् सिन्धवः सप्त पातन पातु नो विष्णुरुत द्यौः ॥ 1 ॥

हे इन्द्र ! हे पूषन् ! तुम हमारी सुरक्षा करो,देवजननी अदिति और उनचास मरुद्गण हमारी सुरक्षा करें ,अपानपात् ( विद्युतरूप अग्नि ) तथा सातों समुद्र हमारी सुरक्षा करें ,
स्वर्गलोक एवं प्रजापालक विष्णु भी हमारी सुरक्षा करें.
▪पातं नो द्यावापृथ्वी अभिष्टये पातु ग्रावा पातु सोमो नो अंहसः । । पातु नो देवी सुगभासरस्वती पात्वग्निः शिवा ये धार | ॥ अस्यपायवः ॥ 2 ॥ 

अभिलाषा की पूर्ति के निमित्त द्युलोक और पृथ्वी लोक हमारी सुरक्षा करें, सोमाभिषव करने की ग्रीवा ,निष्पन्न सोम तथा सरस्वती ,अपने रक्षक प्रवाहों सहित अग्नि हमारी सुरक्षा करे और पापों से हमें बचाए.

▪यो नः सोमाभिदासति सनाभिर्यश्च निष्टयः । । अप तस्य बलं तिर महीव द्यौर्वधत्मना । 3 ॥ 
जो शत्रु हमारा विनाश करे , अंतरिक्ष में गिरने वाली विद्युत के सदृश हे सोम ! तू सैन्य दल सहित उसके बल को नष्ट कर दे-

   कहाँ मिला इनके वेदों में कोई ज्ञान और विज्ञान मिला तो बस वही पुराना सोमरस पियो और को मारो ,पीटो,लूटो,कत्लेआम करो उर सब कुछ तबाह करो,और अधिक जानकारी के लिए बने रहिये प्लेटफार्म पर-
---अथर्ववेद--भाग-१-
    पृष्ठ-268-269-279.
     --------मिशन अम्बेडकर.

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