Saturday, 23 January 2021

मूत्र द्वार।


तेरे मुत्र द्वार को में खोल देता हूं जैसे झिल का पानी बन्ध को खोल देता है ।
तेरे मूत्र मार्ग को खोल दिया गया है जैसे जल से भरे समुद्र का मार्ग।
(अथर्व वेद 1-3-7,8) 
शेमकरन दास त्रिवेदी भाष्य

मूत्र द्वार।

तेरे मुत्र द्वार को में खोल देता हूं जैसे झिल का पानी बन्ध को खोल देता है । तेरे मूत्र मार्ग को खोल दिया गया है जैसे जल से भरे समुद्र का मार...